Family Of Ratan Tata | भारतीय व्यापार जगत का एक
प्रसिद्ध समूह
टाटा समूह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में व्यापार जगत का एक प्रसिद्ध नाम है। टाटा ग्रुप की शुरुवात नुसरवानजी टाटा ने की जोकी मूलतः एक पारसी पुजारी रहते हुए व्यापार जगत के एक अद्भुद साम्राज्य की शुरुवात की,तो चलिए जानते ही नुसरवानजी टाटा से लेकर नवल टाटा तक की पूरी कहानी और इस परिवार का Muhammad Ali Jinnah से सम्बन्ध।
Nusarvan Ji Tata की उद्दोग जगत में शुरुवात
नुसरवानजी टाटा ने कपास के व्यापार के साथ व्यापर जगत में कदम रखा। उनकी पत्नी से उन्हें पांच बच्चे थे,जिनमें जमशेद जी टाटा, रतन भाई टाटा, माणिक भाई टाटा और वीर बैजी टाटा शामिल थे।
जमशेदजी टाटा जिन्हे भारतीय उद्दोग जगत का जनक मन जाता है ,उन्होंने टाटा ग्रुप की शुरुवात की और औद्दोगिक छेत्र में क्रांति लेन की दिशा में अपने सपनो को साकार किया।
Jamshedji Tata का योगदान
हालांकि, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें से एक थी कर्मचारियों की अनुपस्थिति। लगभग 20% कर्मचारी प्रतिदिन अनुपस्थित रहते थे और लंबे समय तक काम नहीं कर पाते थे।
जमशेदजी ने इस समस्या का हल खोजा और कर्मचारियों के लिए पेंशन और चिकित्सा बीमा जैसी सुविधाएं प्रदान कीं। इसके साथ ही उन्होंने पारिवारिक और खेल दिवस का आयोजन किया, जिससे कर्मचारियों में एकता बढ़ी। इन प्रयासों के कारण उपस्थिति और प्रदर्शन में सुधार हुआ। इन योजनाओं में से कई, वैश्विक स्तर पर भी अनूठी थीं।
मुंबई में एक विश्वस्तरीय होटल की कमी महसूस करते हुए, उन्होंने 1898 में ताज महल होटल का निर्माण शुरू किया। उन्होंने इसका डिजाइन स्वयं देखा और यह सुनिश्चित किया कि हर कमरे से समुद्र का दृश्य मिले। 1903 में, ताज होटल मुंबई की पहली इमारत बनी जिसमें बिजली थी।
जमशेदजी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी स्टील उद्योग की स्थापना। निर्माण और रेलवे के बढ़ते काम के कारण भारत में स्टील की आवश्यकता थी। 17 वर्षों की खोज के बाद, 1899 में बंगाल में लोहा भंडार मिला। हालांकि, 1904 में 65 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, जिससे वह अपना सपना पूरा होते नहीं देख सके।
परन्तु उनके इस सपने को उनके पुत्र दोराबजी टाटा ने साकार किया।दोराबजी टाटा ने 1909 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की स्थापना की, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारतीय विज्ञान संस्थान में ही भारत का पहला Supercomputer जिसका नाम "परम" बनाया गया और यही भारत का पहला घरेलु विमान "हंसा " भी बना था।
Ratan ji tata और JRD Tata का दौर
जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की शुरुवात की, जिसे बाद में एयर इंडिया के रूप में भारत सरकार ने अधिग्रहित किया। जेआरडी टाटा ने टाटा समूह को विविध उद्योगों में विस्तार करने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे समूह का International Level पर भी प्रभाव डाला।
Naval Tata: Tata Group के विस्तार में योगदान और अगली पीढ़ी
वर्ष 2016 में Ratan Tata को टाटा समूह का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया, और 2017 तक इस पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई नयी ऊँचाइयों को छुआ, जिसमें टाटा नैनो और अन्य स्वदेशी उत्पाद शामिल थे। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया, जो उनकी महानता का प्रतीक है।
Noyel Tata का नेतृत्व और टाटा समूह का भविष्य
नोयल टाटा की नेतृत्व क्षमता टाटा समूह के व्यवसायों को नई दिशा देने का वादा करती है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह के विभिन्न व्यवसायों में विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी। नोयल टाटा का उद्देश्य टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर और अधिक मजबूती से स्थापित करना है।
टाटा समूह की विरासत और समाज सेवा
टाटा समूह न केवल व्यापारिक सफलता के लिए बल्कि समाज सेवा के कार्यों के लिए भी जाना जाता है। टाटा परिवार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, और पर्यावरण के क्षेत्र में अपना योगदान दिए हैं। जमशेद जी टाटा द्वारा स्थापित संस्थान आज भी समाज को लाभान्वित कर रहे हैं।
टाटा परिवार का मानना है कि व्यापार के माध्यम से समाज को लाभ पहुंचाया जा सकता है। यही कारण है कि टाटा समूह ने हर युग में नए क्षेत्रों में सफलता हासिल की है और समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। टाटा समूह का हर सदस्य इस विचारधारा को आगे बढ़ाता है, जिससे यह समूह भारत का सबसे प्रभावशाली और जिम्मेदार व्यापारिक घराना है।
इस प्रकार, टाटा परिवार और समूह की यह लंबी यात्रा भारत के विकास और गौरव का प्रतीक है, जो आने वाले वर्षों में भी तरक़्क़ी की नई इबारतें लिखेगी।
Tata family से Muhammad Ali Jinnah का सम्बन्ध
रतनबाई पेटिट की शादी पाकिस्तान के संस्थापक Mohammed Ali Jinnah से हुई ,वे Mohammed Ali Jinnah की दूसरी पत्नी थी। इस तरह से रतनबाई पेटिट ,दिनशॉव माणिकजी पेटिट और रतनजी दादाभाई टाटा की granddaughter हुई। इस तरह से टाटा परिवार का सम्बन्ध Mohammed Ali Jinnah से देखने को मिलता है।
Mohammed Ali Jinnah की पहली पत्नी का नाम एमीबाई जिन्नाह था ,उनकी शादी Mohammed Ali Jinnah से केवल 14 साल की छोटी उम्र में ही हो गई थी। शादी के कुछ ही दिनों के बाद जिन्नाह उच्च शिक्षा के लिए England चले गए थे और England में शिखा ग्रहण करने के दौरान की उनकी पत्नी और माता का देहांत हो गया।
एमीबाई जिन्नाह की मृत्यु के बाद Mohammed Ali Jinnah ने 1918 में रतनबाई पेटिट से शादी की और शादी के बाद रतनबाई पेटिट ने इस्लाम धर्म क़ुबूल कर लिया और अपना नाम मरियम जहाँ रख लिया।
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